प्याजनेफिरसेरुलानाशुरूकरदियाहै।इतनाज्यादाकिबाहरबूंदाबांदीकीआवाजसुनकरसमझमेंनहीआताकिबारिशहोरहीहैयाकोईसस्तेप्याजकेदिनोंकोयादकररोरहाहै!
वैसेअगरसचमुचऐसाहोतोमैइसेकोईअनहोनीनहीकहूंगा।दो-चारदिनपहलेखबरथीकिदिल्ली-जयपुरराजमार्गपर 40 टनप्याजसेलदेट्रककोलुटेरे‘अगवा’ करलेगए।पुलिसनेबड़ीमुश्किलसेप्याजसेभरेट्रककोखोजामगरलुटेरेअभीभीफरारहैं।मुझेतोउनलुटेरोंसेसहानुभूतिहै।इतनाखतरामोललियामगरप्याजहाथनहीलगी।
देशकेकृषिमंत्रीशरदपवारनेभीहाथखड़ेकरलिएहैं।मंत्रीजीनेबयानदियाहैकिउन्हेनहीपताकिप्याजकेदामकबकमहोंगे।मंत्रीजीकीमजबूरीहमेंसमझनीचाहिए।प्याजकेदामपहलेभीबढ़तेरहेहैं, तबमंत्रियोंनेक्याकरलिया? बेचारेपवारपरउंगलीउठानाठीकनहीहोगा।कुछजानकारकहतेहैंकिमहाराष्ट्रकेबड़ेकिसानोंसेलेकरबड़े-बड़ेबिचौलियोंकीपूरीजमातकाख्यालमंत्रीजीकोरखनाहोताहै।औरअबतोहमारादेशवैश्विकगांवकाहिस्साहै, समंदरपारकाकोईलठैतइशाराकरताहैतोइधरवालोंकीसांससरकजातीहै।यहअनायासतोनहीहैकिजबसेअर्थव्यवस्थामें‘सुधार’ आयाहैप्याजकामहत्वबढ़गयाहै।मुझेतोपक्कायकीनहोचलाहैकिदेशकेपिछले 20-25 सालोंकेराजनीतिकअर्थशास्त्रमेंप्याजकाकेंद्रीयस्थानहै।लेकिनमैअल्पज्ञानीहूं।किसीविद्वानकोइसपरशोधकरनाचाहिए।हमारेविद्वानप्रधानमंत्रीशायदइसमेकुछमददकरें।
प्याजकीकीमतोंकोलेकरराजनीतिकसरगर्मियांतेजहोगईहैं।अखबारोंमेंखबरथीकिदिल्लीमेंविपक्षीदलोंने‘सस्ते’ दामोंपरप्याजबेंचनाशुरूकरदियाहै।इनदलोंमेंजनताकेदर्दकोलेकरबड़ागुस्साहै।वैसेगुस्साइसबातकाभीहोसकताहैकिप्याजकेदामबढ़रहेहैंऔरवेसत्तामेंनहीहैं।वेशायदइसीलिएसस्ताप्याजबेंचरहेहैंकिअगलीबारप्याजकीकीमतेंउछलेतोकुर्सीपरवेबैठेहों! सोइनकीसस्तीप्याजसेभीजनताकोसावधानरहनाचाहिए।इनकीप्याजआजभलेनरुलाए, कलकीकुछकहनहीसकतें।
परखासबातयहभीहैकिइनकी‘सस्ती’ प्याजभीकुछखाससस्तीनहीहै।इतनीतोकतईनहींकिकभीरोटीकेसाथप्याजखानेवालेइसेखासकें।सूखीरोटियांइन‘सस्ते’ प्याजोंकेबावजूदसूखीहुईहीहैं।परचिंताकीकोईबातनही।सरकारकहतीहैकिअबसूखीरोटियांखानेवालोंकीसंख्यादेशमेंबहुतकमहोगईहै।देशनेआखिरबहुतप्रगतिकरलीहै।‘हिंदूरेटऑफग्रोथ’ कीबैलगाड़ीकोछोड़अबदेशविकासके‘सुपरहाइवे’ परफर्राटेसेदौड़रहाहै।सूखीरोटीकेसाथप्याजखानेवालों! देशकेविकासकेलिएतुम्हेप्याजछोड़नापड़ेगा।‘शाइनिंगइंडिया’ कोमुर्गदो-प्याज़ाखानाहै।घबराओमत, तुम्हेभीमिलेगा।इंतज़ारकरो।दो-प्याजारिसतेहुएतुम्हारेपासभीआएगा।तबतुमभीप्याजकाआनंदलेना।तबतकदेशकेलिएथोड़ात्यागकरो।त्यागतोहमारीशाश्वतपहचानहै।शाश्वतपरंपराकेउत्तराधिकारीप्याजकेलिएपरेशाननहीहोते।
लेकिनक्याकरें।देशकीजनताअक्सरभूलजातीहैइसशाश्वतपरंपराको।तबबड़ीउथल-पुथलमचजातीहै।आखिरसरकारइतनाबड़ाखतराक्योंमोललेरहीहै? कुछदिनप्याजसचमुचसस्ताकरबेचदेनेमेंक्यानुकसान।आखिरइसप्याजमेंऐसीक्यामायाहैकिसरकारइसपरअपनीसत्ताकोदांवपरलगानेकोतोतैयारहैलेकिनसस्ताप्याजबेंचनेकोनही?
वास्तवमेंप्याजकीमायाअपरंपारहै।कृषिमंत्रीपवारनेकहाहैकिघरेलूबाजारमेंदामबढ़नेकेबावजूदप्याजकेनिर्यातपररोकलगानाठीकनहीहोगाक्योंकिइससेअंतरराष्ट्रीयबाजारमेंदेशकी‘इमेज’ खराबहोगी।यानीबढ़तीकीमतेंअपनीजगहहैऔरदेशकिछविअपनीजगह।यहीतोमायाहै।देशसेज्यादामहत्वपूर्णदेशकि‘इमेज’ है।सरकारबाहरसेप्याजआयातकरनेकोतैयारहैलेकिननिर्यातपररोकनहीलगसकती।देशकी‘इमेज’ कासवालहै।
सरकारइतनेसालोंसेदेशकी‘इमेज’ चमकानेमेंलगीहुईहै।बड़ीमेहनतकाकामहै।पक्ष-विपक्षसबमिलकरझाड़-पोछकररहेहैं।थोड़ासुस्तातेहैंतोअमेरिकाकीत्यौंरियांचढ़जातीहै।अभी‘इमेज’ पूरीनहीचमकीहै! फिरलगजातेहैं।बीच-बीचमेंवर्ल्डबैंकबतातारहताहै– अबइसतरफचमकाओ! इधरथोड़ीधूलअभीभीबाकीहै! देशके‘इमेज’ कोचमकानेकीहोड़हीलगगईहै।कोईअर्थव्यवस्थाकी‘इमेज’ चमकारहाहै, कोईचरित्रकी! कोईविकासकीक्षणभंगुरतासेचिंतितहै, कोईशाश्वतपरंपराओंकेक्षरणसे– दोनोमिलकरदेशकी‘इमेज’ चमकानेमेंलगेहैं।
लेकिनअपनीआंखेअभीप्याजकीमारीहैं।औरअगरप्याजनहोतातोकुछऔरहोता।गालिबनेयूंहीतोनहीकहाथा,
- लोकेशमालतीप्रकाश
(इसलेखकासंपादितसंस्करण 26 अगस्त 2013 को‘प्रदेशटुडे’ मेंप्रकाशितहुआथा।)