ट्रेवॉन मार्टिन के बहाने नस्लवाद पर कुछ बातें
2008में बराक ओबामा का यूएसए का राष्ट्रपति चुना जाना निश्चित ही एक ऐतिहासिक क्षण था. 20जनवरी 2009को ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह (इनऑगरेशन सेरेमनी) का सीधा प्रसारण इन पंक्तियों के लेखक ने यूएसए के सुदूर...
View Articleडा नरेंद्र दाभोलकर की नृशंस ह्त्या हमारी अग्रगामी चेतना की हत्या की कोशिश है
(स्वतंत्र भारत के इतिहास में डा नरेंद्र दाभोलकर की नृशंस ह्त्या हमारी अग्रगामी चेतना की हत्या की कोशिश है. यह एक प्रगतिशील मुल्क बनाने के हमारे सपने की हत्या की कोशिश है. इसकी निंदा करना तो बस एक सड़ी...
View Articleशास्त्र सम्मत नहीं है अयोध्या की चौरासी कोस की परिक्रमा
(अरुण जी का यह लेख आज आगरा से निकलने वाले दैनिक कल्पतरु एक्सप्रेस में प्रकाशित हुआ है. यह लेख धर्म के अपने टूल्स से हालिया घटनाक्रम की विवेचना कर स्पष्ट बताता है कि किस तरह इस कथित धार्मिक यात्रा का...
View Articleइस मुरदा-घर में उम्मीद की किरणें कहाँ से आएँगी?
(यह आलेख कुछ दिनों पहले 'स्त्री मुक्ति' के लिए लिखा गया था. आज आप सबके लिए)चित्र यहाँ से साभार कुछ दिनों पहले कवि और प्रकाशक अरुण चन्द्र राय ने एक वाकया सुनाया. दिल्ली के पास एक फैक्ट्री के सर्वे के...
View Articleहम सब दाभोलकर ! सुभाष गाताडे
अंधश्रद्धा के खिलाफ संघर्षरत एक संग्रामी की शहादत- ‘‘जिन्दगी जीने के दो ही तरीके मुमकिन हैं। पहला यही कि कोई भी चमत्कार नहीं। दूसरा, सबकुछ चमत्कार ही है।’’- अलबर्ट आइनस्टाइनलब्जों की यह खासियत समझी...
View Articleकिस्सा दो-प्याजा
प्याजनेफिरसेरुलानाशुरूकरदियाहै।इतनाज्यादाकिबाहरबूंदाबांदीकीआवाजसुनकरसमझमेंनहीआताकिबारिशहोरहीहैयाकोईसस्तेप्याजकेदिनोंकोयादकररोरहाहै!वैसेअगरसचमुचऐसाहोतोमैइसेकोईअनहोनीनहीकहूंगा।दो-चारदिनपहलेखबरथीकिदिल्ली-...
View Articleहम अपनी खामोशियों के गुनाहगार रहे/ वे जूनून बन के सब के सर पे सवार रहे.
(मुजफ्फरनगर दंगों के बाद एक अपील)लहू का आदिम खेल फिर ज़ारी है. फिर ज़ारी है अफवाहों का वलवला और पतित राजनीति के षड्यंत्रों का सिलसिला. धरम के नाम पर फिर हथियार निकल गए हैं और इंसानी लाशों की पहचान उनके...
View Articleजनसत्ता के झूठ और चंचल चौहान का जवाब
अपनी वाम विरोधी और अब तो कहा जा सकता है कि दक्षिण समर्थक मुहिम में जनसत्ता नामक अखबार के महत्त्वाकांक्षी, दम्भी और अलोकतांत्रिक सम्पादक ने पत्रकारिता के तमाम मानक बिसरा दिए हैं. वह बिना ठोस सबूतों के...
View Articleअनंतमूर्ति का बयान और उसके विरोधों के निहितार्थ
फासीवाद की एक प्रमुख विशेषता यह होती है कि वह अफवाह फैलाता है. जैसा कि संघ परिवार ने मेरे साथ किया. एक कन्नड़ अखबार है 'कन्नड़ प्रबाह' जिसने मेरे बारे में अफवाहें और गन्दी चीजें प्रकाशित कीं. ऐसी चीजें...
View Articleबहिष्कार भी समर्थन की तरह एक राजनीतिक हथियार है : सन्दर्भ हंस का सम्पादकीय
यह लेख भोपाल की एक पत्रिका के कहने पर लिखा गया था. छपा या नहीं छपा यह पता नहीं, क्योंकि कोई सूचना नहीं आई. अब इस महीने का हंस का सम्पादकीय पढने के बाद इसे यहाँ पोस्ट कर रहा...
View Articleभगत सिंह के जन्मदिवस पर उनके नाम प्रो लाल बहादुर वर्मा का एक ख़त
प्यारे दुलारे भगत,ख़त में एक दूरी तो है पर यह ख़त हम तुम्हारे मार्फ़त खुद को लिख रहे हैं- तुम से जुड़कर तुम्हे अपने से जोड़ रहे हैं ..तुमे हम क्या कहकर पुकारे यह तय करना बाकी है , क्योकि तुमसे जन्म का...
View Articleथू करने के लिए नही है मेरी जबान पर थूक - कैलाश वानखेड़े
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब धार ज़िले से ख़बर आई थी कि एक तहसीलदार ने दलित बच्चों से जाति प्रमाणपत्र के लिए जानवरों की खाल उतारते हुए अपनी तस्वीरें प्रस्तुत करने के लिए कहा था! हम सब क्रोधित थे...पर...
View Articleसदाचार की गठरी : हिमांशु पांड्या
हिन्दी की युवा कहानीकार ज्योति कुमारी द्वारा दर्ज यौन दुर्व्यवहार की शिकायत के बाद उठे विवाद में ताज़ा कड़ी में हमारी भाषा के एक समर्थ लेखक अनिल कुमार यादव का लेख एक साथ दो ब्लोग्स पर शाया हुआ है.इन...
View Articleसेंसर बोर्ड अंधा है वह आंखें बंद कर “ग्रैंड मस्ती” मार रहा है : सारंग उपाध्याय
“वल्गर कॉमेडी”के नाम पर हाफ पौर्न परोस रही फिल्म “ग्रैंड मस्ती”कुछ असफल और फिल्मी प्लेटफार्म से गायब होते जा रहे लोगों की अवसाद से ऊपजी भडास है. इंडस्ट्री में बनें रहने की दोयम दर्जे की घटिया,...
View Articleद्वंद्वात्मक भौतिकवाद – हेगेल से मार्क्स तक
(जनपक्ष के पाठक जानते ही हैं कि मार्क्सवाद के मूलभूत सिद्धांतों को लेकर मैंने एक लेखमाला की शुरुआत की थी. उसकी कुछ किश्तें देने के बाद वह क्रम ब्लॉग पर रुक गया लेकिन युवा संवाद पत्रिका में लगभग नियमित...
View Articleकोका कोला पर वक्तव्य - मार्टिन एस्पादा का एक भाषण
(1957 में न्यूयार्क के ब्रुकलिन में जन्में मार्टिन एस्पादा को ‘अपनी पीढ़ी का लातिनी कवि’ कहा जाता है. उनका काव्यकर्म लातिनी अमेरिका की उस प्रतिरोधी परम्परा का है जिसने अमेरिकी साम्राज्यवाद के ज़ुल्म और...
View Articleबाज़ार और टीवी सीरियल : प्रांजल धर
अँधेरा इन दिनों सबको नया-सा लगता हैबाज़ार की माँग के हिसाब से तय होते हैं टीवी सीरियलों के विषय और चरित्रप्रांजल धर कोई सात साल पहले की मेरठ की एक ख़ूबसूरत रात की बात है। ख़ूबसूरत यानी सन्नाटे भरी। माघ...
View Articleराजेन्द्र यादव : बड़े सम्पादक और लेखक ही नहीं बड़े मनुष्य भी - पल्लव
हमारे युग के नायक राजेन्द्र यादवपल्लवहिन्दी कहानियों के सबसे शानदार संकलन ‘एक दुनिया समानांतर’ की भूमिका में राजेन्द्र यादव ने एक सवाल उठाया है कि विश्वामित्र नायक हैं या खलनायक? आज जबसे खबर मिली है...
View Articleलता आत्या दिवाळी च्या शुभेच्छा - बादल सरोज
यह टिप्पणी सी पी एम के मध्यप्रदेश के सचिव कामरेड बादल सरोज की फेसबुक वाल से ली गई है. लता मंगेशकर के हाल के मोदी समर्थक बयान के मद्देनज़र बादल भाई ने थोड़ा इतिहास खंगाला है, थोड़ा वर्तमान.आपकी आवाज में...
View Articleमुक्तिबोध की याद
पिराते-से ख़याल अंधेरे मेंपर हिन्दी में बहुत चर्चा हुई है। मैं मुक्तिबोध के कविता-संसार में जाता हूं तो चकमक की चिनगारियांभी उससे कम महत्वपूर्ण नहीं लगती। मुक्तिबोध की कविता के विशद विवेचन में जाना...
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