Quantcast
Channel: जनपक्ष
Browsing all 168 articles
Browse latest View live

Image may be NSFW.
Clik here to view.

हम गैर को सतायेंगे गुजरात की तरह !

गुजरात माडल की बात ऐसे की जा रही है मानो विकास नाम की चिड़िया लाशों से दाना-पानी लेती हो फिर भी पूज्य है. पुरानी बातें भुलाने की बातें कुछ यों की जाती हैं जैसे वह कई सदी पुरानी बात हो. बाबर का बदला...

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

दुनिया को नर्क बना रखा है देवों के देव महादेव ने

  'रामायण' धारावाहिक के बाद इधर टी वी पर इस तरह के मिथकीय धारावाहिक कुकुरमुत्ते की तरह उग आये हैं. अंधविश्वास और पूरी तरह सामंती तथा कबीलाई मानसिकता से भरे इन धारावाहिकों ने समाज की मानसिकता को अपने...

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

कम्यूनिस्ट घोषणा पत्र – सर्वहारा की ऐतिहासिक उपलब्धि

मई दिवस के अवसर पर सभी साथियों का जनपक्ष की ओर से हार्दिक अभिनन्दन. यह दिन हम सर्वहाराओं की जीत और संकल्प का दिन है. वह दिन, जब हम एक बेहतर दुनिया के निर्माण की मुश्किल लड़ाई के लिए एक बार फिर...

View Article

Article 0

आलेख:हिन्दी सिनेमा: प्रतिरोध की संस्कृति हाषिए का समाज-जितेन्द्र विसारियाकला और विज्ञान का अद्भुत संगम और बीसवीं सदी के कुछ विशिष्ट अविष्कारों में से एक ‘सिनेमा’ ने अपने शैशवकाल से ही व्यक्ति और समाज...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

नौसेना विद्रोह-हंगल साहब-गांधी जी

सुरेन्द्र मनन का यह स्मृतिरेख कथन पत्रिका में छपा है. इसमें ए के हंगल ने नौसेना विद्रोह के दौर के राजनीतिक-सामाजिक माहौल पर विस्तार से और बहुत रोचक तरीके से बात की है. यहाँ यह लेख पत्रिका की सम्पादक की...

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

हिंदी सिनेमा और दलित चेतना

-जितेन्द्र विसारियाकला और विज्ञान का अद्भुत संगम और बीसवीं सदी के कुछ विशिष्ट अविष्कारों में से एक ‘सिनेमा’ ने अपने शैशवकाल से ही व्यक्ति और समाज को अपने सम्मोहन में बाँध रखा है और बाँधे हुए है। कहते...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

आस्कर’– फ़िल्म के पुरस्कार या विदेश नीति के हथियार

 रामजी तिवारीने पिछले दिनों फिल्म समीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण काम किये हैं. खासतौर से हालीवुड की चर्चित तथा पुरस्कृत फिल्मों की जो राजनीतिक समीक्षा उन्होंने प्रस्तुत की है, वह  सांस्कृतिक...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

'विचारधारा, शक्तिकेंद्र, प्रतिमानीकरण: लेखन और जीवन'

(एक फेसबुक बहस: 18 अप्रैल 2013 - 4 मई 2013)इस बहस के बारे में दो शब्दकरीब एक पखवाड़े (18 अप्रैल 2013 से 4 मई 2013 तक) की अवधि में फेसबुक पर एक (महा )बहस चली जिसकी शुरुआत हिंदी कवि कमलेश के 'समास'...

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

1857 और भारतीय मुसलमान

यह लेख अभी नेशनल बुक ट्रस्ट से आये शांतिमय रे की किताब के मेरे अनुवाद का हिस्सा है. 10 मई को हमने इस महान भारतीय विप्लव की वर्षगाँठ मनाई है. यह उसी महान परम्परा की याद में 1857 का महान विद्रोह जो मेरठ...

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

अलविदा असग़र साहब!

कारवां दुनिया और इंसानियत के वजूद, पहचान और बेहतरी के वास्ते जब तलक चलता रहेगा, तब तक मौत का कोई फरिश्ता उन्हें छू भी नहीं सकता!पलाश विश्वासप्रख्यात मुस्लिम विद्वान, प्रतिशील चिंतक, लेखक और दाऊदी बोहरा...

View Article

बेस्ट सेलर्स के बहाने कुछ जरूरी सवाल

किताबों के न बिकने के सतत प्रकाशकीय रुदन के बीच एक प्रकाशक का अपनी एक किताब को बेस्ट सेलर घोषित कर दो महीने के भीतर उस पर तीसरा आयोजन स्वागतेय तो है, लेकिन यह उल्लास कुछ सवाल खड़े करता है. उस कार्यक्रम...

View Article

सी आई ए का भूत, वर्तमान और एक ‘सु’कवि को सम्पादक का साथ : आभासी दुनिया की एक...

  ·        यह लेख समयांतर के ताज़ा अंक में प्रकाशित हुआ है.पूरी बहस आपने जनपक्ष परपहले पढ़ी ही है. इस बीच अर्चना वर्मा का भी एक आलेखइस मुद्दे पर कथादेश में छपा है. मजेदार बात यह है कि इस लेख में कमलेश...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

मुद्दा विचारधारा विरोध है - वीरेन्द्र यादव

फेसबुक पर सी आई की भूमिका को लेकर जो बहस चलीथी उसे आप जनपक्ष पर पढ़ चुके हैं. सी आई ए के ऋणी कवि कमलेश के उत्कट समर्थक और इन दिनों वाम विरोधी तथा सी आई ए द्वारा कांग्रेस फार कल्चरल फ्रीडम की...

View Article


इशरत जहाँ पर लाल्टू की एक कविता

इशरत पर कविता लाल्टू ने लिख तो ली थी २००४ में ही पर छपी २००५ में, दैनिक भाष्कर में. किसी भी तात्कालिक घटना पर, वह भी इतने सेंसेटिव विषय पर कविता लिखना हमेशा खतरों से भरा होता है. खतरा दोनों स्तर पर...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

अराजनीति का दर्शन यथास्थितिवाद का दर्शन है !

साहित्य ही नहीं समाज में भी 'नो पालिटिक्स प्लीज़' एक लुभावना और प्रचलित नारा बन गया है इधर. या यों कहें कि यह फ्रेज़ इन दिनों फैशन में है. अराजनीतिक होने को बेहतर होने की तरह देखा-सुना जा रहा है....

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

भूमंडलीय परिवर्तन का परिप्रेक्ष्य प्रदान करने वाली दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकें

 समीर अमीन की दो किताबों - 'द वर्ल्ड वी विश टू सी' और  'फ्राम कैपिटलिज्म टु सिविलाइजेशन' के बहाने वरिष्ठ कहानीकार तथा गंभीर अध्येता रमेश उपाध्याय ने पूँजीवाद के वर्चस्व जमाते जाने के साथ आये भूमंडलीय...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

अर्चना वर्मा के कथादेश में छपे लेख पर वीरेन्द्र यादव का प्रतिवाद

समास में दिए गए साक्षात्कार में कवि कमलेश के सी आई ए समर्थन वाले बयान और उसके बाद चली बहस से आप परिचित हैं ही. इसी क्रम में अर्चना वर्मा ने उस पूरी बहस को 'बचकाना' जैसा बताते हुए और कमलेश के बयान को...

View Article


Image may be NSFW.
Clik here to view.

पढ़िए गीता बनिए सीता: साक्षरता एवं जेंडर अनुपात के परिसंबंध - प्रज्ञा जोशी

   स्त्री सशक्तीकरण की प्रक्रिया में शिक्षा की भूमिका प्रेरक, साधन और साध्य तीनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी गयी है. उसी तरह समाज के विकास में भी शिक्षा का अहम स्थान है. समाज और देशों की भौतिक उनत्ति...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

भूमंडलीय यथार्थवाद की पृष्ठभूमि

वरिष्ठ कथाकाररमेश उपाध्यायका यह लेख कथन के ताज़ा अंक में प्रकाशित है. हमारे अनुरोध पर उन्होंने इसे जनपक्ष के पाठकों के लिए उपलब्ध कराया है.-------------------------हिंदी साहित्य में, खास तौर से 1970 और...

View Article

Image may be NSFW.
Clik here to view.

फेसबुक और अभिव्यक्ति का जोखिम - वीरेन्द्र यादव

कँवल भारती की गिरफ़्तारी और उसके बाद अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर लेखकों के प्रतिरोध के क्रम में वीरेन्द्र यादव का यह लेख शुक्रवार के ताज़ा अंक में प्रकाशित है.फेसबुक पर टिप्पणी लिखने के कारण विगत...

View Article
Browsing all 168 articles
Browse latest View live