गुजरात माडल की बात ऐसे की जा रही है मानो विकास नाम की चिड़िया लाशों से दाना-पानी लेती हो फिर भी पूज्य है. पुरानी बातें भुलाने की बातें कुछ यों की जाती हैं जैसे वह कई सदी पुरानी बात हो. बाबर का बदला जुम्मन से लेने को आतुर लोग मोदी और उसके गिरोह के लोगों पर अदालती कार्यवाही को भी कटघरे में खड़ा करते हैं. ऐसे में आनंद कुमार द्विवेदीकी यह ग़ज़ल उस स्मृति को न केवल ताज़ा करती है बल्कि उसे बनाए रखने की वजूहात को भी साफ़ करती है.
हम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह
इस देश को बनायेंगे गुजरात की तरह
बस एक बार होंगे जो होने हैं फ़सादात
झगड़े की जड़ मिटायेंगे गुजरात की तरह
अपराध नहीं पनपेगा, मुज़रिम न बचेगा
सबको सज़ा दिलायेंगे गुजरात की तरह
क्या कीजियेगा रंग-रंग के गुलों का आप
कुछ रंग हम हटायेंगे गुजरात की तरह
आतंकियों, जहाँ भी तुम्हारा मिला वजूद
वो बस्तियाँ मिटायेंगे गुजरात की तरह
पहले तमाम काम एजेंडे के करेंगे
पीछे विकास लायेंगे गुजरात की तरह
इस बार जो खायेंगे शपथ संविधान की
फिर घर नहीं जलायेंगे गुजरात की तरह
'आनंद' तू तो अपना है बेकार में न डर
हम गैर को सतायेंगे गुजरात की तरह