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Channel: जनपक्ष
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ब्रिटेन में आम चुनाव के नतीजे: व्यवस्था के विकल्प की उम्मीदों के लिए शुभ...

ब्रिटेन में आम चुनाव के परिणाम कॉर्पोरेट मीडिया घरानों और सर्वेक्षण एजेंसियों के लिए झटका हैं जिन्होंने इस बार प्रधानमंत्री थेरेसा मे और उनकी कंजरवेटिव पार्टी को जिताने के लिए पूंजीवादी लोकतंत्र के...

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नब्बे के दशक में कश्मीरी पंडितों का पलायन : कुछ तथ्य

·         अशोक कुमार पाण्डेय 1-     1990 के दशक में कश्मीर घाटी में आतंकवाद के चरम के समय बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया. पहला तथ्य संख्या को लेकर. कश्मीरी पंडित समूह और कुछ...

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संगीत और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह : कुलदीप कुमार

पश्चिमके साथ साक्षात्कार की प्रक्रिया में उन्नीसवीं सदी में हिंदुओं और मुसलमानों ने अपनी-अपनी अस्मिता को अपने “गौरवपूर्ण अतीत” के आलोक में समझने और परिभाषित करने का प्रयास किया और इस प्रक्रिया में...

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दूधनाथ सिंह : एक प्रतिबद्ध स्वर

कुलदीप कुमार ने यह लेख आज द हिन्दू के अपने कॉलम "हिन्दी बेल्ट"लिए लिखा था...किसे पता था कि यह श्रद्धांजलि लेख में बदल जाएगा। जनपक्ष की ओर से हिन्दी के प्रतिबद्ध कहानीकार और आलोचक दूधनाथ सिंह जी को सादर...

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ब्रह्मराक्षस : ऑर्गेनिक बुद्धिजीवी की तलाश

अशोक कुमार पाण्डेयमुक्तिबोध की कविताओं को पढ़ते हुए लगातार यह लगता है जैसे सिर्फ़ दो कविताओं को लिखने या पूरा करने के लिए वह लगातार लिख रहे थे – ‘अँधेरे में’ और ‘ब्रह्मराक्षस।’ यह अनायास नहीं है कि दोनों...

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कुलदीप नैयर - एक क़द का उठ जाना

तस्वीर द हिन्दू से साभार ● ओम थानवीकुलदीप नैयर का जाना पत्रकारिता में सन्नाटे की ख़बर है। छापे की दुनिया में वे सदा मुखर आवाज़ रहे। इमरजेंसी में उन्हें इंदिरा गांधी ने बिना मुक़दमे के ही धर लिया था।...

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बलात्कार को अपनी राजनीति के खाँचे में न सेट करें - शुभा

हैदराबाद की हालिया घटना के सन्दर्भ में जो प्रतिक्रिया सामने आई हैं वह बहुत विडम्बनामय और कहीं-कहीं जुगुप्सा पैदा करने वाली हैं.कुछ अपवाद भी हैं तो वे अपवाद ही हैं.पढ़े-लिखे सज्जन लोगों की जो हाय...

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प्रिय पूंजीवाद, मार्क्स अभी अप्रासंगिक नहीं हुये है

पुरुषोत्तम अग्रवाल अनुवाद : तरुण भारद्वाज मार्क्स यदि जीवित होते तो 5 मई 2018 को 202 वर्ष के हो गए होते। तो क्या? क्या मार्क्स के विचारों को याद करने और उन पर चिंतन करने से अब कोई फायदा है ? क्या यह एक...

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