नयासालअभीदूरहै
- लोकेश मालती प्रकाश
नयासालआगयाहै।फिरसेआगयाहै।
पुरानासालजाते-जातेकरुणाकीलहरछोड़गया।दिल्लीकीसड़कपरअमानवीयताअपनेबेहदखूंखाररूपमेंप्रकटहुई।वैसेसत्ताकीराजधानियोंमेंअमानवीयताकिन-किनखूंखाररूपोंमेंरोजकितनेखेलखेलतीहैयहकहनामुश्किलहै।दिल्लीकीउसलड़कीकेसाथहुएकातिलानाहिंसाऔरसामुहिकबलात्कारकोमीडियानेजिसतरहसेउछालाउससेजुड़ेतमामसवालनिश्चितहीहैं– कितनीऐसीघटनाएंअखबारोंमेंखबरबननेसेपहलेदमतोड़देतीहैंयासचकहेंतोमारदीजातीहैं।बाजारमेंकब, क्या, कितनाभुनानाहैइसकेसमीकरणअमानवीयताकाएकअलगपाठहीरचतेहैं।यहएकघटनाहमारेसमयकेऐसेकितनेहीखूंखारपहलुओंकोउजागरकरदेतीहै।
हमसबदेखरहेहैं।कितनेहीकरुणाकीदुकानखोलकरबैठगएहैं।इसमेंहरतरहकेलोगऔरदुकानदारियांशामिलहैं।अखबार, राजनीतिकपार्टियां, समाज-सेवक, लेखक, कलाकार…औरइनसबकोअपनीधुनपरनचातीजड़बद्धसत्ता।कैंडलमार्च, हवन, जींसपैंटोंकीहोलीसेलेकर, कड़ी-से-कड़ीसजाकीमांग, सरेआमफांसी, वंध्यकरण…।कुछदहाड़मारमारकरऐसेरोरहेहैंगोयाउनसेज्यादादुखीकोईऔरहैहीनही।ध्यानदेंकिकेवलरोनेऔरदहाड़-दहाड़कररोनेमेंबड़ाफर्कहै।साझेदर्दमेंबहतेआंसूतोइंसानियतकीमिसालहैं।लेकिनदूसरेवालेतोखतरनाकहैं।मुझेशकहैकिवेदुखमेंनहीरोरहेहैं, बसयहजतानेकेलियेरोरहेहैंकिउन्हेभीदुखीमानाजाए।अगरकहींदुखीहोनेवालोंकारजिस्टरहोतोइनकानामसबसेऊपरलिखाजाए।क्योंकिइनकेकीमतीआंसूऐसीहरघटनापरनहीनिकलते।इनकादुखीहोनाअसलघटनासेभीबड़ीघटनाहै।
रोनेवालोंकीएकऔरकिस्महै।वोजोऔरतकेलियेनहीऔरतकी‘इज्जत-आबरू’ केलियेरोतेहैं।इनकीहीएकप्रवक्तानेसंसदमें‘जिंदालाशों’ केलियेआंसूबहाए।कुछजींसकीहोलीजलारहेहैं।कुछऔरतोंकोसदाचारकीसीखदेरहेहैं।सुरक्षाकेसदियोंपुरानेदायरोंकीदुहाईदेनेवालोंकोक्याफिक्रकिइसदायरेकेपीछेस्त्रीकीकोईऐसीकल्पनायापरिभाषाहैजहांऐसीहिंसाआसानीसेजन्मलेलेतीहै।औरफिरक्याहमयहभीभूलजाएकि‘बहु-बेटियोंकीइज्जत’ केलियेआंसूबहानेवालेइसदेशमेंबहु-बेटियोंकाजिंदाबचपानाहीदूभरहै, बराबरीकाइंसानीदर्जातोबहुतदूरकीकौड़ीहै।
कुछवीररसमेंबिल्कुलडूबहीगएहैं।येपूरेदेशमेंखापपंचायतजैसाविधानलागूकरदेनाचाहतेहैं।‘बलात्कारियोंकोफांसी’ कीवेदीपरचढ़ाकरयेअपनीहिंसकअंतरात्माओंकोबरीकरनाचाहतेहैं।
दूसरीतरफगुस्सेकोभुनानेकीहोड़है।क्यापताइसवीररसकीबयारकेपीछेकितनीसंवेदनाहैऔरकितनी‘सर्कुलेशन’ या‘टीआरपी’ कीआग।कुछेकअखबारोंकेसंपादकअपनेआपकोपूरादेशमानतेहैं।इनकेदिमागीदलदलसेजैसाभीगंधाताखयालनिकलेगाउसेयेदेशकीरायबनाकरपेशकरेंगे।
दोगलेपनकीतोहदशायदकुछहैहीनही।पहलेपन्नेपरऔरतोंकी‘इज्जतलूटने’ वालेबलात्कारियोंकेलियेफांसीकीमांगहै।दूसरेपरतेल, क्रीम, अण्डरवियरकेप्रचारकेलियेऔरतकीजितनीसंभवहोउतनीनग्नतस्वीर।औरतीसरेपन्नेपर‘सुडौल’ और‘आकर्षक’ बनानेवालीदवाकाविज्ञापन।
अभीकिसीदक्षिणकेफिल्मकारनेइसघटनापरफिल्मबनानेकीघोषणाकरदीहै।कलकोकोई‘दामिनी’ ब्रांडकीक्रीमभीनिकालसकताहै।
‘इज्जत’ केखेलमें‘मर्द’ नेपहलेतोऔरतकोजिस्मकीचौहद्दीमेंकैदकियाथाऔरअबऔरतकेजिस्मसेपैसेबनानेवाला‘मर्द’ उसेबेझिझकबाजारमेंभीउताररहाहै।असलीखेलतोयहीहै।पितृसत्ताऔरपूंजीकाखेल।फांसीकीमांगऔरसदाचारकेसुभाषीततोनेपथ्यगानभरहैं।
तोक्याइसबारभीसारीकरुणाबाजारकेभाड़मेंझोंकदीजाएगी।नहीं, निराशाकेआगेकिसीभीसूरतमेंआत्मसमर्पणनहींकरसकते।कहींनकहींकरुणाविक्षोभकीकरवटभीलेरहीहै।सत्ताकेमजबूतकिलेकीनींवकोयहविक्षोभधीरे-धीरेहीसहीतोड़रहाहै।यहलड़ाईचंददिनोंकीनहीसदियोंकीहै।
एकऔरसालआगया।वैसेनएसालकामतलबयहभीहोताहैकीमहीनादरमहीनाजिसकैलेंडरकेपन्नेबदलतेथेंउसकैलेंडरकोहीबदलनेकावक्त।हमारेदौरका, हमारेसमयकाकैलेंडरअभीनहीबदलाहै।अभीमहीनादरमहीनाहमउसीघिसे-पिटेदौरकीपरतेंउखाडरहेहैं।हमारानयासालअभीदूरहै।